गणेश चतुर्थी उत्सव को 10 दिनों तक मनाने का परंपरागत तरीका होता है, इस अवधि के दौरान भगवान गणेश की महिमा का आदर किया जाता है।
निम्नलिखित हैं इन 10 दिनों के गणेश चतुर्थी उत्सव की विस्तृत जानकारी:
प्रथम दिन (शुक्ल पक्ष चतुर्थी):
गणेश चतुर्थी उत्सव का आगमन होता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति का स्थापना किया जाता है, और व्रत आरंभ किया जाता है। मूर्ति के साथ पूजा आरंभ होती है और प्रसाद की तैयारी आरंभ होती है।
द्वितीय दिन:
इस दिन मोदक (भगवान गणेश के पसंदीदा खाने का प्रकार) बनाए जाते हैं और उन्हें भगवान गणेश को चढ़ाया जाता है। लोग प्रदर्शनियों और नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
तृतीय दिन:
इस दिन को गणपति चौथ के रूप में भी जाना जाता है। भगवान गणेश की पूजा और आराधना जारी रहती है और प्रसाद की तैयारी की जाती है।
चतुर्थी दिन (मुख्य त्योहार):
यह दिन मुख्य त्योहार होता है। लोग भगवान गणेश की पूजा और आराधना करते हैं, और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। मुख्य गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन नहीं करते हैं।
पंचमी दिन:
इस दिन भगवान गणेश की पूजा और आराधना जारी रहती है, और लोग अपने परिवार के साथ सामाजिक मेलमिलाप करते हैं।
षष्ठी दिन:
इस दिन को गणेश षष्ठी के रूप में मनाया जाता है, और भगवान गणेश की कथाओं का पाठ किया जाता है।
सप्तमी दिन:
इस दिन पुनः भगवान गणेश की पूजा की जाती है, और विभिन्न प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
अष्टमी दिन:
इस दिन भगवान गणेश की पूजा और आराधना जारी रहती है, और लोग विशेष भोजन के रूप में मोदक और अन्य प्रसाद का आनंद लेते हैं।
नवमी दिन:
इस दिन को गणेश नवमी के रूप में मनाया जाता है, और भगवान गणेश की मूर्ति को सजा-संवरकर पूजा की जाती है।
दशमी दिन (विसर्जन):
गणेश चतुर्थी उत्सव का अंत होता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जन किया जाता है, जिसके साथ उत्सव का समापन होता है। गणेश जी की मूर्ति को नदी, समुद्र या अन्य जल स्रोत में अंतिम विसर्जन किया जाता है।